सारांश – मासूम तवायफ -इस कविता में यह बताया गया है की कई बार कुछ मजबूरी या कोई जिम्मेदारी इंसान को कुछ ऐसा करने को मजबूर कर देती है जिसे यह समाज या खुद वो इंसान भी स्वीकार नहीं करता.
वह जो मासूम कभी
ज़िस्म सड़कों पर बेचा करती है
वह मासूम तवायफ नहीं जनाब
वह मजबूरी में ऐसा करती है
पढ़ी-लिखी नहीं है वह
कोई काम उसे ना आता है
इस जालिम सी दुनिया मैं
भला कौन घाव पर मरहम लगाता है
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बूढ़ी मां बीमार पड़ी घर में
दवाइयां भी उसकी लानी है
घर का राशन भी खत्म हुआ
यह समस्या भी उसको सुलझानी है
बूढ़ी मां की कुछ अधूरी
ख्वाहिश भी पूरी करती है
वह कोई तवायफ नहीं जनाब
वह मजबूरी में ऐसा करती है।।
अनाड़ी लेखक
“Sachin singh patel
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